Thursday 24 July 2014

@Jesus prayer: I am the Way the Truth and the Life

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियोंके मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालोंकी मण्डली में बैठता है!
परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता
; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।
वह उस वृक्ष के समान है
, जो बहती नालियोंके किनारे लगाया गया है। और अपक्की ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिथे जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।।
दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते
, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।
इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे
, और न पापी धर्मियोंकी मण्डली में ठहरेंगे;
क्योंकि यहोवा धर्मियोंका मार्ग जानता है
, परन्तु दुष्टोंका मार्ग नाश हो जाएगा।। Bhajan shinta 1:7




हे यहोवा परमेश्वर मैं अपके पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं तेरे सब आश्चर्य कर्मोंका वर्णन करूंगा।
मैं तेरे कारण आनन्दित और प्रफुल्लित होऊंगा
, हे परमप्रधान, मैं तेरे नाम का भजन गाऊंगा।।
जब मेरे शत्रु पीछे हटते हैं
, तो वे तेरे साम्हने से ठोकर खाकर नाश होते हैं।
क्योंकि तू ने मेरा न्याय और मुक मा चुकाया है
; तू ने सिंहासन पर विराजमान होकर धर्म से न्याय किया।
तू ने अन्यजातियोंको झिड़का और दुष्ट को नाश किया है
; तू ने उनका नाम अनन्तकाल के लिथे मिटा दिया है।
शत्रु जो है
, वह मर गए, वे अनन्तकाल के लिथे उजड़ गए हैं; और जिन नगरोंको तू ने ढा दिया, उनका नाम वा निशान भी मिट गया है।
परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है
, उस ने अपना सिंहासन न्याय के लिथे सिद्ध किया है;
और वह आप ही जगत का न्याय धर्म से करेगा
, वह देश देश के लोगोंका मुक मा खराई से निपटाएगा।।
यहोवा पिसे हुओं के लिथे ऊंचा गढ़ ठहरेगा
, वह संकट के समय के लिथे भी ऊंचा गढ़ ठहरेगा। Bhajan shainta 9:1-10

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